शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right To Education Act) 2009: किसी भी देश की सबसे बड़ी सम्पति एवं उसका भविष्य उस देश के बच्चे होते है, लेकिन जब बच्चों की शिक्षा सही तरह से न हो सकें, तो उस देश का भविष्य भी अंधकारमय हो जाता है। इसीलिए देश के विकास व प्रगति के लिए बच्चों का पढ़ना लिखना / शिक्षित होना आवश्यक है। क्यूंकि शिक्षा किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन के सर्वोच्च महत्त्व का अनुभव कराती है।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए संसद के छियासीवें संशोधन अधिनियम 2002 के माध्यम से इसे मौलिक अधिकार के रूप में संविधान के अनुच्छेद 21A में शामिल किया गया। इसके बाद वर्ष 2009 में संसद ने निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के माध्यम से इस एक्ट को व्यवहारिक रूप दिया गया। यह एक्ट 1 अप्रैल 2010 को लागू किया गया।

शिक्षा के इस मौलिक अधिकार अधिनियम में कुल 7 अध्याय व 38 खण्ड है। RTE Act 2009 के माध्यम से अब 6-14 वर्ष के वे करोड़ों बच्चे अब स्कूल जा पाएंगे, जो पहले स्कूल नहीं जा पाते थे। सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत दी जाने वाली मुफ्त शिक्षा के लिए प्रति वर्ष करोड़ों रूपये के बजट का प्रावधान किया जाता है।
Right To Education Act 2009
शिक्षा का अधिकार अधिनियम अथवा Right to Education Act के लागू होने के साथ ही देश में आजादी के लम्बे समय बाद फ्री व अनिवार्य शिक्षा का रास्ता साफ हो गया, इससे सभी को शिक्षा देने का सपना भी साकार होगा। इस अधिनियम के द्वारा देश के सभी बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत स्कूलों में कुछ प्रतिशत सीटें मुफ्त शिक्षा के लिए आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है।
एडमिशन के पश्चात बच्चों को शिक्षा के साथ साथ मिड दे मिल उपलब्ध करवाया जायेगा, इसके अलावा अन्य कहीं सुविधाएँ उपलब्ध करवाई गयी है। कहीं बार स्कूलों में देखा जाता है कि अध्यापकों द्वारा बच्चों का मानसिक उत्पीड़न व टयूशन आदि हेतु अतिरिक्त शुल्क मांगना आदि, मामले सामने आते है। इस अधिनियम में इस बात का भी विशेष प्रावधान किया गया है। इसके अलावा अध्यापन के क्षेत्र में भी काफी बदलाव किये गए है, इनका पाठ्यक्रम विशेष रूप से बच्चों का व्यक्तित्व निखार, बाल केंद्रित व इनके समग्र विकास से संबधित बनाया गया है।
इसे राइट टू एजुकेशन एक्ट और राइट आफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपलसरी एजुकेशन एक्ट के नाम से जाना जाता है। जिसे हिंदी में निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 कहते हैं। इस एक्ट के लागू होने से भारत भी विश्व के उन 135 देशों में शामिल हो गया, जहां बच्चों के लिए संविधान में अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा का प्रावधान रखा गया है।
Right to Education Act 2009 Overview – 2024
अधिनियम | शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 |
संसद में पारित | 4 अगस्त 2009 |
देश भर में लागू | 1 अप्रैल 2009 |
संबधित मंत्रालय | शिक्षा मंत्रालय |
उदेश्य | 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना। |
आधिकारिक वेबसाइट स्कूल शिक्षा (भारत सरकार) | यहां क्लिक करें। |
शिक्षा अधिकार अधिनियम
Right to Education Act 2009: भारत का शिक्षा से प्राचीन काल से ही गहरा नाता है। तक्षशिला, नालंदा, गुरुकुल आदि शिक्षा संस्थानों से भारत ने कई ज्ञानविद्यो को जन्म दिया है, लेकिन फिर भी आश्चर्य की बात है कि भारत में आज भी साक्षरता दर काफी कम है। जिसके उदाहरण हम देख सकते है कि देश में कई ऐसे बच्चे हैं, जो अपने बालपन मे पढ़ने और खेलने के बजाय गरीबी के अंधेरे तले परिवार की जिम्मेदारी उठाने को मजबूर है। उन्हें शिक्षा मिलना तो दूर की बात है, दो वक्त की रोटी भी उन्हें बहुत ही मुश्किल से मिल पाती है।
हालांकि सरकार कई क़ानून और योजनाओं के माध्यम से देश के गरीब बच्चों के लिए कार्य कर रही है, लेकिन इन क़ानून और योजनाओं का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन आज तक नहीं हो पा रहा है। बच्चों का शिक्षित बचपन एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकती है, लेकिन यदि बाल्यावस्था में बच्चों को शिक्षा को अर्जित करने मे परेशानी होती है, तो वो अपराध की ओर रुख कर सकते है। जिससे देश मे घटती साक्षरता के साथ देश का भविष्य विकट संकट में भी आ सकता है।
इसी तथ्यों को ध्यान मे रखते हुए देश के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा देश के सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ते हुए साक्षर बनाने के पहल की गई है। जिसके तहत 6 से 14 वर्ष तक के आयु वाले बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम ( राइट टू एजुकेशन एक्ट ) 2009 के अंतर्गत कानूनी अधिकार दिया गया है। इस लेख में हम शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट) 2009 के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का लाभ ले सकें।
RTE Act Full Form in Hindi
RTE Act Full Form – Right To Education Act एवं हिंदी में इसे “शिक्षा का अधिकार अधिनियम” है।
RTE Full Form – “Right To Education Act“ |
Right to Education Act 2009 के बिंदु
- इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत सभी निजी स्कूलों मे 6 से 14 वर्ष तक के उम्र वाले बच्चों के लिए कुल सीट का एक चौथाई यानी 25% गरीब बच्चों के लिए आरक्षित कर उन्हें निशुल्क शिक्षा प्रदान किया जाना है।
- निजी स्कूल द्वारा ऐसा नहीं करने की स्थिति में जुर्माना लगाकर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है।
- कक्षा पहली से आठवीं तक को प्राथमिक शिक्षा घोषित किया गया।
- विकलांग बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की उम्र 6 से 18 वर्ष तक होगी।
- बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार की होगी।
- इस अधिनियम के तहत गरीब बच्चों के लिए प्रवेश की प्रक्रिया मे बदलाव का प्रावधान है।
- छात्रों और शिक्षकों के मध्य अनुपात और स्कूल के नियमित मानक निर्धारित कर दिए है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के उद्देश्य
इस अधिनियम के तहत प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र मे सर्वभौमिक समावेशन को लाना और माध्यमिक व उच्च शिक्षा से वंचित बच्चों को शिक्षा से जोड़ना।
- 6 से 14 वर्ष की आयु तक के प्रत्येक बच्चों को निशुल्क अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है।
- 6 वर्ष तक के सभी बच्चों का स्कूल प्रवेश करवाना।
- प्रत्येक बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास करना।
- स्कूल में प्रवेश, उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूर्ण कराना।
- कक्षा आठवीं तक किसी भी बच्चों को फेल नहीं किया जाना।
- धारा 6 के अंतर्गत पड़ोस के किसी भी स्कूल में प्रवेश लेने का अधिकार हो।
- कमजोर वर्ग के बच्चों के साथ भेदभाव को रोका जा सके।
- उम्र के अनुसार बच्चों को शिक्षा व्यवस्था से जोड़ना।
- प्रवेश तिथि निकल जाने के बाद ही प्रवेश देने में अनिवार्यता।
- किसी भी बच्चे को किसी भी कक्षा में प्रवेश के लिए रोका नहीं जा सकेगा, ना ही स्कूल से बाहर निकाला जा सकता है।
- बच्चों को स्कूल प्रबंधन द्वारा किसी प्रकार की शारीरिक और मानसिक यातना नहीं दिया जाना।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के क़ानून का स्कूल प्रबंधन द्वारा उल्लंघन करने पर –
- निजी स्कूल में कुल सीट मे से 25 प्रतिशत पर गरीब बच्चों को प्रवेश देना है, ऐसा नहीं होने की स्थिति में वसूली फीस से 10 गुना अधिक जुर्माना और स्कूल मान्यता रद्द की जा सकती है।
- रद्द होने के बाद भी स्कूल संचालन की स्थिति में एक बार मे एक लाख और नियमित तौर पर ₹10000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
- कोई भी सरकारी शिक्षक स्कूल के अतिरिक्त निजी ट्यूशन नहीं ले सकते हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 बच्चों को स्कूल में प्रवेश की पात्रता –
- गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवार के बच्चे।
- परिवार की वार्षिक आय 3 लाख या उससे कम।
- प्रवासी श्रमिक और अन्य मजदूर के बच्चे।
- अनाथ और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चे।
आरटीई एडमिशन हेतु आवश्यक दस्तावेज
बच्चों का स्कूल में प्रवेश के दौरान कुछ दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता होती है, जिसमे माता-पिता का आधार कार्ड, वोटर कार्ड, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, माता-पिता का पासपोर्ट फोटो, राशन कार्ड और मोबाइल नंबर आदि चाहिए होंगे।
- पासपोर्ट फोटो।
- आधार कार्ड।
- जन्म प्रमाण पत्र।
- यदि बच्चा अनाथ हो तो ऐसी स्थिति मे माता-पिता के मृत्यु का प्रमाण देना होगा।
आरटीई एक्ट द्वारा शिक्षा से ऐसे जुड़ेंगे बच्चे
जो बच्चे किसी भी कारणवश शिक्षा से वंचित है, या विद्यालय में फीस देकर शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ है। ऐसे छात्र सरकार और स्कूल प्रबंधन के साथ मिलकर फ्री इस योजना के तहत फ्री शिक्षा प्राप्त कर सकते है।
- ऐसे बच्चों को चिन्हित करने के लिए प्रत्येक वर्ष स्कूल प्रबंधन समिति और स्थानीय निकायों द्वारा घर-घर जाकर सर्वे कर सूची तैयार किया जाता है।
- परिवार और सामाजिक दोनों स्तरों पर सर्वे का कार्य किया जाता है।
- बच्चों को घर-घर जाकर स्कूल आने के लिए प्रेरित किया जाता है।
- बच्चों के लिए स्कूल में पुस्तक, यूनिफॉर्म, मिड डे मील की मुफ्त व्यवस्था कराई जाती है।
- जो बच्चे जिस कक्षा में पढ़ने के इच्छुक है, उन्हें उनके आयु के अनुसार उस कक्षा मे प्रवेश दिया जाता है।
- किसी भी बच्चे को स्कूल फीस देने की आवश्यकता नहीं होगी।
- स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों के स्कूल आने जाने की व्यवस्था कराई जाएगी।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 अब तक भी पूरी तरह कारगर नहीं है क्यों?
इस अधिनियम में बच्चों को शिक्षित करने के अलावा शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए 2017 में एक कानून पारित कर 2019 में लागू किया गया, जिसके तहत शिक्षा की गुणवत्ता सुधार करना है। बावजूद इसके हाल ही में जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन संभव नहीं हो पाया है, आइए जानते हैं इनके कारणों को विस्तार से –
- समाज के पिछड़े क्षेत्र में शिक्षा के लिए उदासीनता।
- परिवार का भरण पोषण की पूर्ति नहीं होने से, पहली प्राथमिकता मे शिक्षा का स्थान नहीं।
- सभी स्कूलों में आरटीई एक्ट के नियमों के तहत प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, ना ही प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही की जा रही है।
- कई स्कूल में शिक्षक पूर्ण रूप से प्रशिक्षित नहीं है।
- कई राज्य इस कानून को अब तक लागू ही नहीं कर पाए हैं।
- शिकायत करने पर कोई सुनवाई या निवारण की कार्यवाही नहीं होती है।
- अधिकांश माता-पिता को इसकी जानकारी नहीं होने से बच्चें इस अधिकार से वंचित रह जाते हैं।
- अनेक विद्यालय में गरीब बच्चों के प्रवेश को अनदेखा किया जाता है।
- सरकारी स्कूल में समय पर सारी सुविधा और राशि नहीं उपलब्ध होने से स्कूल प्रबंधन कोई विशेष कार्यवाही नहीं करता है।
- सर्व शिक्षा अभियान का क्रियान्वयन भी सही ढंग से नहीं हो पा रहा है।
राइट टू एजुकेशन में शिक्षकों के दायित्व
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 को जमीनी स्तर पर उतारने में शिक्षक की भूमिका का अहम् प्रावधान किया गया है, इनके निम्न दायित्व है –
- शिक्षा के अधिकार 2009 के अनुसार सभी राज्यों के सभी जिलों, ब्लॉकों व तहसीलों आदि में पर्याप्त शिक्षकों की संख्या छात्रों के अनुपात में सुनिश्चित करनी होगी।
- RTE Act 2009 द्वारा शिक्षकों से करवाए जाने वाले गैर शिक्षण कार्य जैसे – चुनाव ड्यूटी, आपदा व अन्य आदि, में सभी शिक्षकों की बराबर की भागीदारी सुनिश्चित करवाना है।
- शिक्षकों को उनकी तैनाती जैसे ग्रामीण, शहरी, मैदानी व पहाड़ी आदि क्षेत्रों में सामान तैनाती सुनिश्चित करना है।
- RTE Act 2009 के द्वारा योग्य व पात्र शिक्षकों की नियुक्ति एवं नियुक्त शिक्षकों को समय – समय पर प्रक्षिक्षण का प्रावधान है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम संशोधन 2019
शिक्षा का अधिकार अधिनियम में सुधार हेतु संशोधन भी किये गए, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शिक्षा अधिकार संबधित कुछ बदलाव व कुछ नए बिंदुओं को जोड़ा गया है, आरटीई अधिनियम 2019 (संशोधन) के द्वारा छात्रों एवं अध्यापकों के लिए कहीं बदलाव किये गए है।

- शिक्षा अधिकार अधिनियम संशोधन द्वारा नो डिटेंशन पालिसी को समाप्त कर दिया है। नो डिटेंशन पालिसी को समाप्त करने के लिए देश भर के 22 राज्यों द्वारा इसे समाप्त करने की मांग की गयी थी।
- इस अधिनियम के पास होने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। शिक्षा अधिकार अधिनियम संशोधन के बाद अब पांचवी व आठवीं कक्षा में अनुत्तीर्ण छात्रों के लिए पास होने के लिए एक और मौका दिया जायेगा।
- इस प्रकार अब छात्रों को फ़ैल होने के बाद पास होने के लिए दो अवसर मिलेंगे। यदि कोई छात्र दुबारा भी अनुत्तीर्ण होता है, तो उनका दुबारा उसी कक्षा में एडमिशन करवाया जायेगा।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम (राइट टू एजुकेशन एक्ट) के लागू होने के बाद से पहली कक्षा से 8th क्लास तक किसी छात्र को फैल नहीं किया जा रहा था, इस व्यस्था से शिक्षा के स्तर में काफी गिरावट आ रही थी, यदि कारण था कि केवल पांच राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्य नो डिटेंशन पालिसी को समाप्त करने के पक्ष में थे।
नो डिटेंशन पालिसी क्या है?
शिक्षा अधिकार अधिनियम के प्रावधान के अनुसार यदि कोई छात्र फ़ैल हो रहा है, इसके बावजूद भी उसे अगली कक्षा में प्रवेश दिया जा रहा है, इसी पालिसी का नाम “नो डिटेंशन पालिसी” है।
प्रश्न – 1 शिक्षा अधिकार अधिनियम कब लागू हुआ था?
उत्तर – हमारे देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 1 अप्रैल वर्ष 2009 में लागू किया गया था। इसे देश की संसद में 4 अगस्त 2009 को पारित (मंजूरी) किया गया था।
प्रश्न – 2 संविधान के आर्टिकल 21(क) क्या है?
उत्तर – हमारे देश के संविधान का अनुच्छेद 21 (क) शिक्षा अधिकार अधिनियम से संबधित है। इस अधिनियम में 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों को अनिवार्य व निशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया गया है।